मैं एक बिंदु हूँ
साथ ही सिंधु हूँ
मैं आशा चक्र का स्थान हूँ
मैं ओंकार हूँ।।
ॐ आ ऊ म मुझमे ही समाहित हूँ
मैं ओनकेश्वर हूँ
मैं त्रिकोण का अंतिम स्थान हूँ
मैं सृष्टि का रूप हूँ
मैं देवी का रूप हूँ
मैं ही एक शिव का स्वरुप हूँ
मैं बिंदु हूँ
मैं ॐ का अंतिम अक्षर हूँ
मैं मैं हूँ
मैं कन्या का वरदान हूँ
मैं सुहागन की पहचान हूँ
मैं चन्दन रुपी हूँ
मैं कुमकुम हूँ
मैं भस्म भी मैं ही हूँ
मैं भावों का श्रृंगार हूँ
मैं आज्ञा चक्र का स्पंदन हूँ
स्पंदन की हुंकार हूँ
इस स्पंदन की झंकार हूँ
डमरू का नाद हूँ
मैं इंदु बिंदु सिंधु हूँ
विश्व मुझमे ही समाहित है
मैं ही शक्ति हूँ
मैं इक्षा शक्ति ज्ञान शक्ति क्रिया स्थली का रूप हूँ
मैं माता सीता द्रौपदी कुंती अहल्या मंदोदरी तारा पांच कन्या का श्रृंगार हूँ
मैं समस्त नारी का श्रृंगार हूँ
मैं अनादि अनंत हूँ
मैं तिलकधारी राम की सीता हूँ
मैं देवाधिदेव महादेव शिव की पार्वती हूँ
मैं सर्वव्यापी विष्णु लक्ष्मी का स्वरुप हूँ
मैं माँ सरस्वती का गायन हूँ
रेखा का अंत मैं ही हूँ
अरे उस रेखा का अंता तो मई ही हु
मैं अनुस्वार रुपी हूँ
मैं ब्रह्मनाद हूँ डमरू का नाद हूँ
मैं माता पार्वती का लय हूँ
लय ही नाम मेरा
लय ही काम मेरा
हम सब लय माया माय हैं
पांच स्वर मुझमे ही समाहित है
पांच भुता पांच तत्त्व मैं ही हु
मेरी मैय्या के माथे का अभिमान हूँ
मेरी बहना का गहना हूँ
मेरी अर्धांगनी का गर्व हूँ
मैं सूर्या स्वरूपी तीर्थ ज्वाला हूँ
मैं सूर्या स्वरूपी तिघ्रा ज्वाला हूँ
रोम रोम से बही कुण्डलिनी क्रिया है
अर्ध नारीश्वर के मस्तक का श्रृंगार हूँ
कृष्ण मैं, राधा मैं, राम मैं, सीता मैं ,
सर्वव्यापी मैं ही हूँ
आओ रे गाओ रे
बिंदु दिन आयो रे
आओ रे नाचो रे गाओ रे
बिंदु दिन आयो रे
जय हो
– माँ राज्यलक्ष्मी
Composed By Maa Rajyalaxmi Ji